खवाबों की परस्तिश से तुने क्या पाया?
जो था पल तेरा उसे भी गवाया,
ज़िन्दगी जैसी है उसे तू अपना ले,
कभी इसकी, काभी उसकी चाह को तू ज़रा दबा ले,
रोशन होगा तेरा अंतरमन तो पा लेगा हर ख़ुशी,
और जो तू ये न समझा तो बस दौड़ता रहेगा भीढ़ में यूँही
-Vineet 'The Bard'
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