It's Celebration of Everything and Nothing at all.
सुकून के दो पल एक पथिक की प्यास,
मंजिल है दूर पर पाने की आस,
थोडा है अभी पर कर रहा हां थोडे और की तलाश,
बस अब महक जाए ये गुलिस्तान सा जीवन न रहे बेसुध जैसे फूल पलाश।
-विनीत 'The Bard'